बजी रणभेरी अब छिड़ गया है वार दिल्ली मे, जम्हूरियत का सबसे बड़ा त्यौहार दिल्ली मे। वादो के पिटारे लेके आएंगे सियासतदाँ, सजेगी झूठ की मंडी और बाजार दिल्ली मे। जुबानी जंग भाषा की मर्यादा भी टूटेगी , आरोपो का एक दूजे पर बोझार दिल्ली मे। तरक्की बेहतरी का ख्वाब दिखलाएगें सौदागर, "वोटो के" सबके द्वार खरीदार दिल्ली मे। सियासी चाल से बचना लड़ना न आपस मे, मकसद है कि अपनी बने सरकार दिल्ली मे। जनता तो ठगी जाएगी हर बार की तरह, सजे चाहे जिसका भी दरबार दिल्ली मे।