If my words could fly, I would have loaded them with kisses, And would have sent them to you, So that they could make you feel me behind your ears, So that they could remind you of feelings that have been lost for years.
मैं क्या करती माँ? वो लोग इतने सारे थे.. तरस ना आया उनको मुझपर, सब हवस के मारे थे... तेरे चाटे से ज्यादा असर मैंने उनकी मार में पाया था.. मैं क्या बताऊ माँ.... उस दिन तेरी फ़िक्र का एक एक पल याद आया था... गिड़गिड़ाई बोहोत थी चीखा और बोहोत चिल्लाया था... मुँह रौंद कर उनसब ने मेरी आवाज़ को दबाया था.... मुझे लड़ना है माँ उनसे जो इन्साफ ना होने देंगे... मेरे घावों को नोचेंगे घाव ठीक ना होने देंगे..... कातिल बन गए हैँ मेरी रूह के, वो सारे हैवान थे.... वो झुंड में आये गीदड़ थे और कहते खुद को बलवान थे...... *