दल बदल लोकतंत्र की सियासत
माना कि मौसम का मिजाज़ और सबाब एक ही हो, मगर
डगर की हर राह एक जैसी नहीं होती|सियासत में झूठ भी बोलो तो दहलीज कभी कम नहीं होती|evm और
विविपैड का मिलाप तो बस सियासत है, आखिर सबकी गडबड एक जैसी नहीं होती|सत्ता के लिए फूट डालों और राज करों, कभीं मस्जिद मंदिर आबाद नहीं होती|जनता तो सिर्फ प्यादे है यहाँ हर कोई खुली किताब नहीं होती, सिहासन तो राजा का शासन, ना मानों तो सिर्फ आश्वासन |परिवर्तन है समय का स्वामी आज तेरा है कल किसी और का हो, दो वक़्त रोटी खातिर जुगाड़ बनाते आम आदमी, हाल बुरा है पूछो ना भाई कोई ज्योतिष, मंगल शनि पर भारी अबकी बार आपकी बारी|
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