QUOTES ON #YQDIDI

#yqdidi quotes

Trending | Latest
12 SECONDS AGO

दुनियादारी दिखावे में ही ,खो गये हैं सब,
अपनों में अपनों को ही, ढूँढते हैं हम अब।

छिप गये धन दौलत,रूपये पैसे की आड़ में,
मतलबपरस्ती की दुनिया में कदम बढ़े जब।

प्यार मोहब्बत का अभाव,रिश्ते नाते भी न रहे,
न तेरा न मेरा,नुकसान फायदा देखते हैं सब।

भागदौड भरे इस जीवन में,नजदीकियाँ न रहीं,
समय का अभाव,पास आने से घबराते हैं अब।

अपनापन दिलों से समाप्त होने की कगार पर खड़ा,
गुंजाइश ही न रही मन में,बस ढोंग करते हैं सब।

कलियुग की पहचान यही,यही देखना है सबको,
न कहलायेंगे भाई बहन,माँ बाप,न होगा हमसफ़र तब।
-Surbhi agrawal



-


44 SECONDS AGO

A simple heart never finds it difficult to love someone,
Love is simple, expectations complicate the situation...

-


A MINUTE AGO

ये दुनिया बहुत सुन्दर है
ये जानने के लिए घर से
बाहर निकलो तो सही
अगर भरनी है ऊंची उड़ान
पहले अपने पंख तो खोलो
सही।

-


A MINUTE AGO

,
हौसलों की उड़ान बाकी हैं !
ख्वाबों के उड़ान भरो तो सही,
पूरा आसमान खाली है !

-



समझदारी दिमाग की उत्पति है..
दिल तो मोहब्बत से काम लेता है...।

-


2 MINUTES AGO

उड़ने की चाहत हो तो
पूरे करो सपनों को
पाने की चाहत हो तो

-


2 MINUTES AGO

अपने हौसलों के पंख तो खोलो सही,
मंजिल सामने है ये अपने दिल से बोलो तो सही।

-


2 MINUTES AGO

कहाँ ढूँढे जो कहीं मिलता नहीं
खुदा है मगर कहीं दिखता नहीं

अपनों की परायों की क्या होगी परिभाषा
पराया दुख कोई यहाँ समझता नहीं

भीड़ मे भी जो रहते है तन्हा
पूछो उनसे दिल उनका क्यूँ कहीं लगता नहीं

खामोश हो जाते है एक वक्त के बाद
रोज रोज तो कोई सिसकता नहीं

ढूँढना खुद मे ही है थोड़ा सुकून मुझे
ज़माने भर मे देखा कहीं मिलता नहीं

-



आँखों में हम तेरे ख़्वाब लिए चलते हैं…
तेरे दीदार के लिए अरमान मचलते हैं…

आतिश-ए-इश्क़ में जल गया आशियां मेरा…
अश्क़ जो जम गए थे, अब सब पिघलते हैं…

वो रहा करते है आकर मिरे मोहल्ले में…
इस दिल पर वार हजार बार करते है…

उनकी सूरत में आज भी रब दिखाई दे…
शहर के शहर उनकी हंसी पर मरते है…

कोई इजाजत दे मोहब्बत में मरने की…
चिराग यादों के चौखट पर जलते हैं…

आँखों में हम तेरे ख़्वाब लिए चलते हैं…
तेरे दीदार के लिए अरमान मचलते हैं…

-


3 MINUTES AGO

खो से गए है सारे रिश्ते,
किसको सुनाऊं अपने सारे किस्से।
तार तार हो गए आज कल के रिश्ते,
दर दर भटक रहा है आज हर
कोई अपनों की तलाश में,
न जाने कितनों के दिल दुखाए बेनाम रिश्ते ।
वो दौर बीत गया वो अपनापन,
हर कोई मरता है पैसे पर ,
अपनों को देख अपना जलता है
ऐसे हो गए नामी रिश्ते ।
कुचल कर चले जा रहे आज कल के रिश्ते,
किसको सुनाऊं अपने सारे किस्से।

-