जो भी इश्क़ में हार कर आयें,
इश्क़ की बुराई करते नज़र आयें,
ना दिखा कोई जो बिछडे महबूब की तारीफों में वक़्त जाया करें,
क्या क्या ना किया उसके लिए सब गिनाते नज़र आयें,
जो भी इश्क़ में हार कर आयें,इश्क़ की बुराई करते नज़र आयें।
खुद को सही साबीत कर ,हर बार,
दूसरे को बदनाम करते नज़र आयें,
यू तो बहुत कुछ मिला भी होगा इश्क़ में उन्हे,वफ़ा के तोर पर,
पर उन्हे तो बस गलतियाँ निकालनी थी दूसरे की,
अच्छाइयां जो भी थे बाकी कोने में फेकते नज़र आयें,
जो भी इश्क़ में हार कर आयें,इश्क़ की बुराई करते नज़र आयें।
आज वाह-वाही पा रहे है,वो उन्ही बात पे,
जिन बातो को कभी थे वो छुपाते नज़र आयें,
सरे आम बदनाम कर रहे अपने इश्क़ को,
झूठी तारीफों के इस बाजार में,
सालों की चाहत को बेचते नज़र आयें,
वो अपने लबों से अपनी हक़ीक़ते मोहोब्त बयां करते नज़र आयें,
जो भी इश्क़ में हार कर आयें,इश्क़ की बुराई करते नज़र आयें।
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