परकिती संदेश दे रहल बा,
काहे ओकरा ले अंजान बाड़ा तू...
परकिती हमनीके चेतावनी दे रहल बा,
काहे ओकरा बात के नज़रअंदाज़ करत बाड़ा तू...
ई हमनीके खावे के फल, पिये के जल,अउर सांस लेवे के शुद्ध हवा दे रहल बा,
काहे ऊँ ही परकिती के दूषित करत बाड़ा तू...
कई बरस ले ऊँ हमनीके चीख चीख के समझावत बा,
तब काहे ओकरा बात ना सुनत बाड़ा तू...
समझ जावअ अभी भी थोड़ा वक़्त बा,
अउर याद रखीहअ अगर प्रलय आईल त वजह होवअ सिर्फ तू ...
तब हो जाई हर तरफ़ अँधियारा,
अउर हर एक साँस के मोहताज़ हो जइबअ तू...
जब परकिती हमनीके ख़ूब ख़्याल रखत बा,
तब काहे ओकरा दोहन करत बाड़ा तू...
ई परकिती हमनीके माई-बाप ले कम ना बा,
एक दफ़ा आपन स्वार्थ से ऊपर उठ के इनके बारे में काहे ना सोचत बाड़ा तू...
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