है नज़ाकत इक संजीदा हाल -ए-बयान भी वो यारा दिलदारा बेबाक़ भी है शमशीर सी निगाह भी उसकी दिल लेकर भी दिल देने से कतराए भी वो तो बस इतराए क्या करेगा वो दो दिलों का कमज़रफ को कौन समझाए हम बग़ैर दिल के ही बेवजह मर न जाए कहीं या तो दिल दे वो अपना या फिर हमें हमारा दिल दे जाए अभी ...... नन्दिनीप्रिया