QUOTES ON #YQबाबा

#yqबाबा quotes

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सूकुं के लिफाफे में भर के वक्त दिया
तुम्हे तोहफ़े में मैंने....
लौटा सकती हो क्या...??-Angel

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मुलाकडच्यांनी होकार कळवला की,
बाप आनंदात नाचू लागतो पण,
आपली चिमणी घरट सोडून जाणार
म्हणून तो लगेच डोळ्यात पाणीही आणतो ।

हुंडा त्यांनी मागितला तेवढा देतो
पण बिचारा इकडे कितीतरी कर्ज काढतो,
कसलाही स्वार्थ नसतो बापाचा तो तर
सगळ काही मुलीच्या सुखासाठी करतो ।

मुलाकडच्यांना काही चुकल तर माफ करा
पाहुण म्हणून फक्त एकच तो म्हणत असतो,
मुलीच्या नजरआड जाऊन तो
इकडे तिकडे बघत डोळे पुसत असतो ।

हसत खेळत राहणारा बाप मुलीच्या
लग्नादिवशी थोडा गंभीरच असतो
त्या दिवशी कोणी कितीही मोठा जोक मारला,
तरीही तो काही हसत नसतो ।

मुलीलाही बापाची खुप काळजी असते
कधी कधी ती त्यांची आई बनते ,
बाबा तुम्ही तुमच्या गोळ्या वेळेवर का घेत नाही
म्हणून ती कधी कधी त्यांना रागवते ।

बाबा तुम्ही मला दादा पेक्षाही
जास्त जीव लावला होता ,म्हणूनच का
आज माझ कन्यादान करताना
तुमचा हात थरथरला होता ।

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31 JAN 2018 AT 16:58

ये नही है महज़ अलफ़ाज़,
छुपे है इन्ही में मेरे राज़.....!

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17 MAY 2017 AT 0:06

पसीने की एक एक बूंद
को बाल्टी में भर
एक पिता ने बेटे को पाला
हर दिन भूखा रहकर
उसकी हर ख्वाइश पूरी की
उसको नया खिलौना दिलाया
उसको होटल में खाना खिलाया
हर दिन नंगे पांव
दफ्तर से घर को पैसे बचाने के लिए
चलते आये
अपना दिल दांव पे रख
बेटे की ख्वाईशो को पल्को पर रखा
पर बेटे ने तो पैसे होते हुए भी
आश्रम में रख छोड़ा
पढा लिखा होने पर भी
पिता के सम्मान को कुचल डाला
भूल गया
की वह अऋण नही हो सकता
पिता की हर मेहनत को चूर कर
भूल गया
की वह पैदा मा की कोख से हुआ
पर पाला तो पिता ने ही है
उसके पढ़े लिखे और आदरनिय
होने का दायित्व और श्रेय भी तो
उसी पिता को जाता है जिसे वो आश्रम छोड़ आया


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4 JUN 2017 AT 16:51

बढ़ते कदमो को थाम कर देखो
अपने पंख खोल कर उड़ जाउंगी
मुझे बेड़ियो में बांध कर देखो
अपने आत्म बल से हर बेड़ी
हर बंधन तोड़कर भाग जाऊंगीं

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1 JUN 2017 AT 12:22

मुझसे नज़रे चुराकर देखो
मेरी आँखों की दृष्टि को अपनी रूह में पाओगे
मुझसे कुछ भी मत कहो
तुम्हारी अनसुनी बाते और मेरा अनकहा इज़हार
अपने दिल मे पाओगे
आंखे मिली न मिली
बातें जरूर होंगी
बातें कही न कही
दिल के अंधेरे में
प्यार से जली दीपावली जरूर मनाओगे

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30 MAY 2017 AT 11:12

चाँद तारे टिमटिमाते रह गए
पर आज इतने सालों बाद भी तुम्हारा चेहरा उनमे न दिखा
सूरज उग कर अस्त हो गया
पर तुम्हारा आज इतने सालों बाद भी कोई पता न चला
क्या मेरे प्यार में कोई कमी रह गयी
जो हमेशा तुम शीशे में मुझे मेरे आंसू पोंछते हुए भी न दिखे
क्या मेरा प्यार प्यार नही था ?
जो आज भी तुम मुझे सिर्फ कागज़ के आकाश के चमचमाते स्याही वाले शब्दों के तारों में नज़र आते हो

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2 JUN 2017 AT 17:05

जब शोले पानी से भड़के
और बर्फ आग लगा दे
उस दिन मेरी नज़रो से नज़रे मिलाकर
सबके सामने
सात जन्मों के प्यार की दुहाई देना
फिर शायद
मैं तुम्हारे रात के अंधेरे में बाहर निकलने वाले राक्षस
और दिन के उजाले में छोड़े हुए जख्म
अनदेखे कर दू

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20 MAY 2017 AT 19:48

विस्मरण के कुँए
में डूबता
एक मछली से बन गया हूँ
किसी ज़माने में
मुझे कवि, शायर, लेखक कहते थे
जो आज टूटते तारे जैसा
जमीन की सतह में गुम गया हूँ
जो लोग प्रेरणास्त्रोत नज़रो से मुझे देखते थे
आज मुझे देखकर
अनदेखा कर देते है
किसी ज़माने में
गुरूर था मुझे खुद पर
की लोग दूसरे लेखको को छोड़
मेरी लेखनी पसन्द करते है
आज उसी गुरूर के आँसू बहा रहा हूँ
आज वही लोग सफलता की ऊंचाई पर खड़े
मुझपर हंसकर देख रहे है
आज गुस्सा खून में उबल रहा है
हाथो में कलम है
पर कागज़ के पन्नो पर स्याही नही
आज मेरे पास शब्द है
पर लिखने के लिए कोई कहानी नही
आज लेखनी की दौड़ में
बहुत पीछे छूट गया हूँ
शब्दो के अर्थ का स्पर्श
अपने शील और सम्मान के साथ पीछे छोड़ आया हूँ
न नसीब में कहानी
न दिल मे प्यार
पता नही कलम कहां जाएगी
कागज़ के इस पार या अलमारी में बंद उस पार

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14 JUN 2017 AT 18:49

कलम से निकली स्याही
और कागज़ पर लिखे शब्द
टूटे दिल की बात ज़ुबान में तब्दील कर गये
टूटी हुई घड़ी
और बीता हुआ वक्त
हमेशा गम के अंधेरे में
कुछ ऐसी रोशनी छोड़ गए
कि मानो सूर्य कभी अस्त ही न हुआ हो
कि
रात के अंधेरे में छिपाए आँसूओं
ने कभी गालों पर अपनी छाप छोड़ी ही नहीं
कभी उस अकेलेपन का आभास कराया ही नहीं।
टूटी घड़ी ने फिर उन खेड़ों की याद दिलाई
उस वक्त में जो ठीक कर सकती थी
उन रुकी हुई सुईयों ने उस वक्त की याद खूब दिलाई
बीते वक्त ने हर गलती की सज़ा भुगत वाई
आज जीवन में कर्म की समझ आई




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