QUOTES ON #YQBHAIJAN

#yqbhaijan quotes

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12 APR 2018 AT 16:01

ऐसा नहीँ है की
मेरी जिंदगी में कोई आना नही चाहता था
बस,हमने इजाज़त नहीँ दी किसी को...सिवाय आपके

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17 MAY 2020 AT 12:17

Abhi tu sahi se mila bhi na tha,
Ke chor gya,
Ishq krna to dur ki baat,
Bina ishq kiye hi dil tod gya...💔

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29 APR 2021 AT 19:55

काश! कभी ऐसा भी हो
मेरे मर जाने के बाद
कोई कहीं
मेरे लिक्खे अश'आर पढ़े
मेरी नज़्मों से मेरी ग़ज़लों से
मेरी सोच की तह तक जा पहुँचे
मेरी रूह को जाने
और अपने ज़ेहन में
मेरी इक तस्वीर उकेरे
और ये सोचे
"मुमकिन है मुझे इस से मुहब्बत हो जाती"

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3 APR 2021 AT 23:23

अब इन्हें ग़म छुपाना आ गया है
हुई तालीम ख़त्म आँखों की

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17 MAR 2021 AT 7:31

रात भर बाहों में कस के लिपट कर सोयी
सुब्ह होते ही बिस्तर पर अकेला छोड़ गयी
हर दफ़ा की तरह आज भी तमन्ना-ए-यार
हमें बिन जल मछली सा तड़पता छोड़ गयी

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9 APR 2021 AT 8:55

मैं मौन हो रहा हूँ और वो शोर कर रही है
पलकों की उठा-पटक घनघोर कर रही है

सो गया है बीच में जहां ये सारा का सारा
नशीली आँखें कुछ ऐसा ज़ोर कर रही हैं

क्या मजाल झपक लूँ एक पलक तनिक
शून्य सा सुन्न मुझे वो पुरज़ोर कर रही है

गहराइयों में डूबने को आतुर तो हूँ मग़र
आँखें उसके चंद्रबिंदु पर ग़ौर कर रही हैं

बारिश बह रही है और हवा बरस रही है
मदहोशी असर उसकी हरओर कर रही है

भूलभुलैया भी है और है नयनाभिराम वो
आँखों आँखों में रात को भोर कर रही है

'बवाल' हो तो हो, अब किसे फ़िकर यहाँ
मैं मौन हो रहा हूँ और वो शोर कर रही है

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14 APR 2021 AT 17:42

ढल गया वो दिन जब देखा था तुझे
ढला नहीं वो समाँ जब देखा था तुझे ।।

बेचैनी की बाढ़ और सुनामी सुकूं की
भीग गए एहसास,जब देखा था तुझे ।।

नाराज़गी सारी तेरी दस्तक़ से छू हुई
बेबात ही मुस्कुराये जब देखा था तुझे ।।

चाहते तुझमें तो गुम हो भी जाते मग़र
सलीक़े से पेश आये जब देखा था तुझे ।।

बातों में क्या रक्खा,तेरा होना ही काफ़ी
कुछ कह नहीं पाए जब देखा था तुझे ।।

झूमे बहोत देर तलक तेरे जाने के बाद
ग़ज़ब था मौसम जब देखा था तुझे ।।

पाकीज़गी मतलब अब भी बाक़ी है मुझ में,
आरजू दिल की पूरी हुई जब देखा था तुझे ।।

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12 JUN 2020 AT 14:13

तुमको बस चाहने भर से कोई क्यूं मिल जाए
ऐसे तो सबकी ही मुट्ठी में ज़माना होता

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22 NOV 2019 AT 19:39

दोनों एक साथ बढ़ रहे थे
शाम का अंधेरा और भूखे सो जाने का डर

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12 APR 2021 AT 20:42

न नींदें हैं न ख़्वाब हैं न आप दस्तियाब हैं
इन आँखों के नसीब में अज़ाब ही अज़ाब हैं

ख़ुलूस की तलाश में हैं ऐसे मोड़ पर जहाँ
मैं भी शिकस्त-याब हूँ, वो भी शिकस्त-याब हैं

अगरचे सहरा-ए-वफ़ा में तश्ना-लब हैं सब के सब
मगर करें तो क्या करें कि हर तरफ़ सराब हैं

अमानतें किसी की हैं हमारे पास अब जो ये
शिकस्ता दिल, चुभन, घुटन, उदासी, इज़्तिराब हैं

न हो सके ख़ुशी में ख़ुश न ग़म में ग़म-ज़दा हुए
हमारी ज़िंदगी के कुछ अलग थलग हिसाब हैं

कहानियाँ, मुसव्वरी, किताबें, फ़िल्म, शायरी
सुकून-ए-दिल की आस में खँगाले सब ये बाब हैं

कभी बड़े ही नाज़ से नज़र में रखते थे जिन्हें
हमीं तुम्हारी आँखों के वो कम-नसीब ख़्वाब हैं

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