दुनिया के सामने यूँ रोया ना करो,
टूटे हुए दिल से निकले शब्दों को
यूँ खोया ना करो।
बेहतर हो, तुम उन्हें पन्नों में उतार लो।
दर्द अपने सारे शब्दों में ढाल लो।
बिखरे वो पन्ने भले ना समझ पायें
कि तुम बिखरे हो कितना।
पर शायद वो तुम्हें सहेज लें उतना,
कोई और सहेज ना पाए तुम्हें जितना।
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