परेशान हू मै, हैरान भी हु मै....
लगता है पल पल इस दुनिया से अंजान हू मै.....
कोशिश कर रहा यहाँ हर कोई बेड़ियों
मे जकड़ने की मुझे, उनकी इन कोशिशो
को देख कर बहुत परेशान हू मै....
सोचते है वो करके बंद मुझे पिंजरे मे,
काट देगे पर मेरे.....
मगर उनकी इन हरकतो से और बुलन्द होते
है हौसले मेरे इस बात से अंजान है वो......
कैद करके इन जंजालों मे मुझे क्या लगता है
उन्हें बहुत होशियार और अक्ल वान है वो.....
जल्दी ही बो वक़्त भी आयेगा जब अपनी
इस नादानी को बो समझ पायेंगे......
प्रथाओ का नाम देकर मुझे रोकने बालो
के उस दिन होस ठिकाने आएँगे....
उस दिन आसमा भी बरसेगा और धरती भी
ये रोयेगी जिस दिन मेरे खून के कतरो
से यहाँ नया इतिहास रचा जायेगा......
उस दिन सारे इन झूठे लोगो के मुखोटे उतर
जायेंगे, बनते है जो भोले सबके सामने उनके
असली चेहरे सबके सामने आएँगे.....
आजाद हो जाउंगी मे इस कैद से जिस दिन
उस दिन को लोग फिर सदियों तक दोहरायेगे.....
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