QUOTES ON #URDUGHAZAL

#urdughazal quotes

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18 FEB 2020 AT 23:05

زخمی ہیں پَر لیکن جان ابھی باقی ہے
حوصلہ، اور خود پہ مان ابھی باقی ہے

آپ کی ہستی مانند بیاباں کے تھی
دیکھنے ہم کو بستان ابھی باقی ہیں

آج خود سر، باغی، بد مزاج کہتے ہیں
لگنے بہت سارے بہتان ابھی باقی ہیں

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3 DEC 2021 AT 8:11

جیسے نکل گیا تو میری زندگی سے صنم ویسے ہی اے کاش
تیری دی ہوئ بےشمار یادیں بھی میری رگ رگ سے نکل جائیں,
Jaise nikal gaya tu meri zindag se sanam waise he ai kaash
Teri di huyi beshumaar yade bhi meri rag rag se nikal jaye.
✍️رائٹس۔ناعمہ اصلاحی

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14 AUG 2021 AT 18:42

عمر بھر رلائیگی تیری کمی،اِس بات کا اقرار ہے مجھے
مگر جاناں میں تمہیں پکارونگی, اِس گمان میں بھی نہ رہنا
Umar bhar rulayegi Teri kami,is baat ka iqraar hai mujhe
Magar jana mai tumhe pukarungi is gumaan me bhi na rahna,
✍️رائٹس۔ناعمہ اصلاحی

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16 DEC 2021 AT 1:59

یادوں کے ریشم میں الجھی ہوئ میں پاگل لڑکی
خود کو بھلا کر رفتہ رفتہ اپنی ہستی مٹا رہی ہوں
Yaado ke resham me uljhi hui mai pagal ladki
Khud ko bhula kar rafta rafta apni hasti mita rahi hu
✍️رائٹس۔ناعمہ اصلاحی

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23 SEP 2021 AT 5:31

हम बुरे हूए तो वो अच्छे बनने लगे ;
हिज़्र के बाद वो जो सच्चे बनने लगे !!

हमने पुछा मेरे बाद कितने हें तुम्हारे ;
अंजान हें जेसे, वो तो बच्चे बनने लगे !!

पलकें भिगोकर अंधरे में सोया कौन था;
बताओ उस शब ज्यादा रोया कौन था !!

उन्हें शिक़ायत भी है हम लौटे नहीं फिरसे;
याद करके बोलो छोड़कर गया कौन था !!

तुम चाहे बेवफ़ा लिखो या वफ़ादार लिखो;
उसके नाम उल्फ़त लिखो;नफ़रत लिखो !!

जिक्र हर शे'र में उसका करती हो "सनकी"
तुम गज़ल लिखो या उसको खत लिखो !!
~"सनकी"_🥀

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8 SEP 2019 AT 23:41

Laut aa ghar ko ae musafir ke teri manzil yehi hai..
Kab tak khanabadoshi me rahega gaafil teri manzil yehi hai.

Sunn le apno ki fariyaad pukaarta yeha har dil hai,
Ghairon me kab tak rahega shaamil teri manzil yehi hai.

Ab toh tere bina suni yeha har mehfil hai,
Teri kashti ka yehi hai saahil teri manzil yehi hai.

Laut aa ghar ko ae musafir ke teri manzil yehi hai....

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15 APR 2022 AT 17:10

कई किरदार पीछे छूट जाते हैं कहानी में
फिर उनको भूल जाते हैं हम अपनी बे-धियानी में

उफ़क़ पर डूबते सूरज की देखो तुम कलाकारी
शफ़क़ बंधेज है क्या ख़ूब चूनर आसमानी में

हम ऐसे कम मिलेंगे जो समंदर पार करते हैं
हवा से बैर कर के इक जहाज़-ए-बादबानी में

कहानी मुख़्तसर सी है हमारी दो ही मिसरों की
शुरु मिसरा ए ऊला से फ़ना मिसरा ए सानी में

उसे चाहा उसे मांगा उसे पाया उसे खोया
किया कुछ भी नहीं इसके अलावा ज़िंदगानी में

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15 APR 2021 AT 19:40

चाक दिल अपना लेकर किधर जाएंगे,
ऐ ख़ुदा हम तो तेरे ही दर जाएंगे।

तूने गर ऐ ख़ुदा हम से फेरी नज़र,
फिर बता तू ही हम किस डगर जाएंगे।

है दुआओं में मां की ग़ज़ब का असर,
कैसे यूं ही भला हम बिखर जाएंगे।

आईने की है हम को ज़रूरत नहीं,
हम निगाहों में तेरी संवर जाएंगे।

जब भी तन्हा रहोगे हमें पाओगे,
वायदा आज तुमसे ये कर जाएंगे।

हो जुदा हम न फिर ज़िंदगी में कभी,
हम यूं रूह में तुम्हारी उतर जाएंगे।

हम को आई न खांसी भी देखो सनम,
क्या वहम था कि बिन तेरे मर जाएंगे।

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3 MAR 2019 AT 13:38

कुदरत को ही खुदा बताना कैसी फितरत है।
फिर पेड़ों को काट गिराना कैसी फितरत है।

पैसा पैसा करते जाने कब बिक जाएंगे,
कब किसका सौदा हो जाना कैसी फितरत है।

दिन दिहाड़े भरी दोपहर को रात बता देना,
अखबारों का काम पुराना कैसी फितरत है।

खाली होंगे एक दूजे को मार गिराएंगे,
काम-काज तो बस बहाना कैसी फितरत है।

आगे पीछे ऊपर नीचे हर सु दिखता है,
तेरी सूरत का मयखाना कैसी फितरत है।

- Bikram Bumrah

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30 MAY 2021 AT 23:28

पुराने कुछ रिवाजों की हिमायत मैं भी करती हूं
अगर पायल बने बेड़ी बगावत मैं भी करती हूं

न हक़ में हूं मैं पर्दे के हया आंखों में होती है
"मगर सर पर दुपट्टे की हिमायत मैं भी करती हूं"

न शौक़-ए-दुश्मनी रक्खूँ न रंजिश ही गवारा है
अना पर बात आए तो अदावत मैं भी करती हूं

मुहब्बत पाक़ है जज़्बा अगर आशिक़ मिले सच्चा
ज़रा पर होश में रहना हिदायत मैं भी करती हूं

मजाज़ी इश्क़ है तेरा है मेरा इश्क़ रूहानी
मुहब्बत तू भी करता है मुहब्बत मैं भी करती हूं

वो पाई पाई मां का जोड़ना है याद अब तक भी
उसी को ज़हन में रख कुछ किफ़ायत मैं भी करती हूं

झुका सजदों में सर अपना करूं मैं रब का शुक्राना
खफ़ा लेकिन कभी हो कर शिकायत मैं भी करती हूं

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