अभी अभी एक सितारा टूटा है
मैं सब्र की तलाश में हूं।।
मोहब्बत का है प्यासा हर शख्स
मैं अब्र की तलाश में हूं।।
ईमान का सौदा, प्यार के लिए
मैं हिज्र की तलाश में हूं।।
रात तो गुज़र जाती है बस यूं ही
मैं फज्र की तालाश में हूं।।
बहुत हो गया गुनाह, अब तौबा
मैं अज्र की तालाश में हूं।।
भटक रहे हैं राह-ए-हिदायत से
मैं खिज़्र की तलाश में हूं।।
सुकून क्यों नहीं आता दिल को
मैं ज़िक्र की तलाश में हूं।।
कभी लिखूंगा मैंभी मोहब्बत पर
मैं बह्र की तलाश में हूं।।
आ मौत, अब गले लगा ले मुझे
मैं कब्र की तलाश में हूं।।
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