तेरी बाँहों के घेरे में हर पल महफूज़ रहूँ मैं,,
पढ़ लो आँखों से सब लब से कुछ न कहूं मैं,,
तुम तो सागर हो जैसे मेरी दुनियाँ का ,,
नदियाँ बन तुझमें ही कल कल बहू मैं ,,
पल पल में यूँ ही गुजर जाए उम्र सारी ,,
हरपल तेरे इश्क़ के नशे डूबी डूबी रहूँ मैं ,,
थाम के मुझें, बचा लो इस तरह बिखरने से ,,
बस तेरी बाजुओं में बिखरती निखरती रहूँ मैं,,
चुपके से चूम लो ना तुम मेरे काँधे का ये तिल,,
थोड़ा शरमाऊं ,घबराऊँ पर तुझसे कुछ न कहूँ मैं,,
जरा सी पनाह दे तू मुझें खुद में ही कहीं,,
दूर तुझसे एक पल भी अब तो न रहूँ मैं,,
क्या जादू किया है तूने जो हो गई हूँ इश्क़ में बावरी मैं,,
नभ ,धरा,चांद,तारे इन हवाओं से तेरी ही बातें कहूँ मैं,,
इश्क़ सच में इतना खूबसूरत होता है क्या ,,
बस एक ही बात हजारों दफ़ा ख़ुद से कहूँ मैं,,
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