1.
हम में बहुत कुछ बचकाना था,
तेरा मेरी गलियों में रोज का आना जाना था,
स्कूल,कॉलेज में तो मानो मोहब्बत की फीस अदा की है
मेरे आने की उस वक़्त उस जगह तूने बेसब्री से राह तकी है...
कहानी नहीं है, हकीक़त है मेरी जिंदगी...
कैसे बयां करूं!!! लफ्ज़ अभी बने ही नहीं है।
हां, नहीं जानती वो दिन तारीख,कब हुई मुहब्बत तुमसे,
मैं यादों को समेट रही थी कहीं खोई हुई तुझमें...
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