QUOTES ON #TALKHIYAN

#talkhiyan quotes

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7 MAY 2022 AT 16:28

Kahaniya'n padh kar rone wale hum hisaas log..☺
Zindagi ki talkhiyo'n ko hass kar jhelte hain..!!😌✌

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4 NOV 2021 AT 17:52

बेरुख़े से लह़जे में मुझसे यूँ तल्ख़ बातें करने वाले तू यक़ीन कर🍂
मैं तेरी इन तल्ख़ बातों के जवाब बड़े ही ख़ुलूश से देकर,
तुझे तेरी ही नजरों में गिरानें का हुनर रखती हूँ🔥

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11 MAY 2022 AT 10:04

Ham logo se mulakaat ke lamhen yad rakhte hai.
Chehra bhale hi bhul jaun par lahja yad rakhte hai.

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30 DEC 2019 AT 17:03

Badhey haasin hotey h wo pal ,
Jo hum apno k saath bitatey h ...
Q na k "talkhiyon" me yahi pal ,
Muskaan bn kr in labo pr aatey h ...

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15 SEP 2020 AT 9:47

वो हैं ख़फ़ा किसी बात पर
आँच आ रही जो साथ पर
तो तल्खियों को काट कर
तू बेझिझक फिर बात कर

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24 MAY 2019 AT 16:55

Talkh mizazon main hum mohabbat dhundhte rahe
Na malum hua kab tum hamse door hote rahe

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18 JUL 2018 AT 21:45

आज बरसात होगी, बदलियाँ बताती हैं,
ख़ूब बरसात होगी, बिजलियाँ बताती हैं।
मेरा हुजरा है कैद चार-दिवारी में पर,
रोशनी आएगी, ये खिड़कियाँ बताती हैं।
न करो बात मुझसे, फिर भी जानता हूँ मैं,
याद करती हो मुझे, हिचकियाँ बताती हैं।
बड़े ग़मगीन रहेंगे ये मकाँ उनके बिन,
घर को बरकत का पता बेटियाँ बताती हैं।
ये जो सहरा है फैल रखा अपने चारों तरफ़,
था ये ग़ुलशन कभी, ये तितलियाँ बताती हैं।
सच छुपाता है अपने बच्चों से रोज़ मगर,
वो है मजदूर, उसकी उंगलियाँ बताती हैं।
ऊपरी तौर से तो सख़्त नारियल सा है,
वो है अंदर से नर्म, तल्ख़ियाँ बताती हैं।
न है बचपन कहीं, न कोई खेल होते हैं,
हो के मायूस, सारी बस्तियाँ बताती हैं।
बेचने वाले बेच देते हैं ज़मीर अपना,
यहाँ बिकता है सच भी, सुर्ख़ियाँ बताती हैं।
मैं ख़ुदा बनने की कोशिश में कामयाब नहीं,
मैं हूँ इंसान, मेरी गलतियाँ बताती हैं।

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5 AUG 2020 AT 0:50

तल्खिया हैं जिंदगी में तो अच्छी बात हैं .....
ये किसी अपने से मिले दर्द की याद दिलाती हैं

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7 JUL 2020 AT 14:51

उसकी बेरुखी को उसका बचपना लिखा है
कुछ इस तरह उसे अब भी अपना लिखा है

क़सीदे तल्खियां मुखालफत क्या कुछ पढ़ लिया तुमने
मैंने तो फ़क़त कलम से कलम को कलम लिखा है

टटोल कर लफ्ज़ों को बंद आंखों से फिर फिर पढ़ना
मैंने पहली दफ़ा ख़त में हाल-ए-दिल लिखा है

लिखा हुआ तो 'मनोज' यों भी पढ़ लेते है तमाम लोग
इक मिसाल होगी गर पढ़ सके जो मैंने नही लिखा है

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29 JUL 2019 AT 19:52

इल्ज़ाम-ए-तग़ाफ़ुल किसी पर
लगाया ना करो
कि तल्ख़ियाँ यूं ही नहीं आती
किसी के मिज़ाज में

किया करते है गिला
वही लोग कातिब
अक़ीदत होती नहीं जिनके
ज़ोर-ए-परवाज़ में

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