बस गई है तू मुझमें...
सुगंँध मेरी, तुझसी आती है...
इत्र कोई भी लगा लूंँ मैं...
खुशबू तो तेरी ही आती है...-
मिट्टी को जो छूती, बारीश से आती भीनी सुगंध हो तुम,
कुल्हड मे सुबह की चाय, की आती सौंधी महक हो तुम,
दरगाह की चादर पर चढ़ते इत्र, सी आती मुराद हो तुम,
नही पास मेरे पर वैसा ही सुकून देती, फरियाद हो तुम।-
Kitaabo me gulaab aksar Dafan hua karte hain
Mere jaise yunhi Badnaam hua karte hain
Hum toh aksar Khushboo chhod jaya karte hain
Log sugandh daba kar hi Durgandh failaya karte hain-
तुम चले जाओगे किन्तु--
थोड़ा सा रह जाओगे मुझमें
जैसे वसंत में रातरानी की महक सा
पहली बारिश के बाद
मिट्टी की सौंधी गंध सा
भोर के उजास में
थोड़ा सा चंद्रमा सा
किसी पुराने मंदिर में
लुप्त होती शंख की ध्वनि सा
तुम चले जाओगे
पर थोड़ी सी मुस्कान
थोड़ी सी चेहरे की चमक
सब यहीं रह जायेगा
मन के सूनेपन में
तुम सदैव गूँजते
रहोगे किसी छंद की भाँति
और थोड़ा सा यहीं
रह जाओगे.........-
भले ही बिखेरो तुम इन फ़िज़ाओं में अपनी सुगंध सुमन
लेकिन थोड़ी बहुत सुगंध तुम खुद के लिए भी बचा लेना।।-
मन करता है मुझे तुम्हें एक प्रेम पत्र लिखूं
उस प्रेम पत्र में तुम्हें एक लाल गुलाब रखूं।।
लाल गुलाब महकाऊं मैं इत्र की सुगंध से
कुछ पत्तियां भी मैं उसकी उसके साथ रखूं।।
लिखूं उसमें तेरे लिए ही प्रेम भरी पंक्तियां
जिसमें तेरा एक प्यारा सा मैं नाम रखूं।।
प्रेम पत्र जब खोले तू देखे मुझे करीब से
गुलाब के साथ मैं एक तस्वीर अपनी रखूं।।-
Iss qadar nasha tera chhaya hai,
Khushboo chahe koi b ho,
Sugandh hmesha tera hi paya hai..!!-
जो हमसे दिल 💖 लगाये ओ ही जाने की
क्या चीज है हम!!
दूर से कोई क्या जाने की महक गुलाब की-
યાદો ની યાદ માં,
યાદી ભરી તારી યાદ.
મારી એ યાદ માં ય...
કરે એ મારી યાદ તારી જ યાદ.
તો આ યાદ માં ના ભૂલ મારી યાદ,
કે રહીશ હંમેશ ને યાદ મારી સ્મિત તણી સુગંધની પ્રેમ
ભરી તું યાદ!!!
........❣✍-