कुछ इश्क़ रहा कुछ काम रहा,
कुछ भूल गया कुछ याद रहा,
कोई चर्चित हुआ कोई गुमनाम रहा,
किसी का नाम हुआ कोई बदनाम रहा,
कोई सो रहा कोई जाग गया,
कोई रो गया कोई हँस रहा,
कोई सपनों में ही खो गया,
कोई सपनों में अब भी भाग रहा,
कोई साथ होकर भी छोड़ गया,
कोई अपना तो कोई पराया रहा,
कोई इस बार भी हार गया,
कोई फिर से अब जीत रहा,
कोई छाँव देख ठहर गया,
कोई धूप में भी चलता रहा,
किसी का सपना पूरा हो गया,
कोई अब भी सपना देख रहा,
कोई खुश होकर भी उदास हुआ,
कोई ग़मों में भी झूम रहा,
बात दिल की तुमसे कहने का मन हुआ,
सब कुछ तुम जान गयी तन्हा फिर 'रोहन' रहा,
-