अपना जो खोजन मै चली
अपना ना मिलया कोय !
निज मन जो झाँक लिन्ही
''मुझ''सा अपना ना कोय !
निज स्वार्थ सब विलिन होय
मिथ्या मेल दिखाबे सब कोय !
कठिन परिस्थिति मे जो पुकार दिन्ही
प्रस्तुत भया ना कोय !!
मन आघात जो भया
दिखावी सांत्वना सब दिलाबे,
मन टटोलिंहें ना कोय !
मिथ्या अश्रू सब दिखाबे
कटाकक्ष त्यागिहें ना कोय !!
नि:सहाय धरासय जो भया
कृत्रिम आह सब धरिहें ,
यथार्त सहाय बनियहें ना कोय !
अलाप-प्रलाप सब करिहें
उदार बनिहें ना कोय !!
अपना जो खोजन मै चली
अपना ना मिलया कोय
निज मन जो झाँक लिन्ही
मुझ सा अपना ना कोय !!
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