ये नज़ारा जो आंखो में समाया है अभी,
दूर क्षितिज पर सुर्ख नज़र आया है अभी,
लहरों की अठखेलियां भानु का आगाज़ तो देखो,
अपने अस्तित्व में होने का इक अंदाज तो देखो,
देखो ज़रा समुंदर भी मुस्कुराता है,
देखो ज़रा सूरज भी तो इठलाता है,
जिंदगी जीने की सीख मिली है अभी,
मदमस्त मुस्कुराओ मौका मिले जब भी कभी
© अभिज्ञान
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