एक पत्र है पुरानी सी
तुम्हारी स्याही की खुशबू लिए
परन्तु कागज़ ने पीलापन ले लिया है
हाँ, बिल्कुल हमारे प्रेम की भाँति
एक गुलाब का फूल भी
संकुचित दबा हुआ पन्नों के बीच
परन्तु अपना सुगंध खो बैठा है कहीं
हाँ, बिल्कुल हमारे प्रेम की भाँति
कुछ पुरानी यादें भी हैं
धूमिल सी शायद वर्षों की धूल से
परन्तु पुरानी तस्वीरों में अब भी मौजूद
हाँ, बिल्कुल हमारे प्रेम की भाँति
हाँ, प्रेम की निशानियाँ बहुत है
परन्तु प्रेम के निशान अब कहीं नहीं
-