नहीं थमती दासतां, जिस्म-औ-रूह ज़ार करने की,
और बाकी है क्या, दरिंदगी की हद पार करने को,
आग फिर उठी हैं, अंगारे दहके हैं आज, चारों तरफ
काट दो उंगलियाँ, जो उठे इज्ज़त तार करने को,
वो बेटी किसकी थी, मत पूछ मुझसे ऐ रहगुज़र
तैयार रह, उन नामुरादों के टुकड़े हज़ार करने को!
आबरू जाने कितनी, हर रोज़ कुचली जाती हैं,
नोंच ले वो गंदी नजरें, उठे जो गंदे वार करने को,
क्यों हो झिझक, क्यों डर बेटियों की आँखों में,
ज़रूरत अब, खुद हाथ अपने हथियार करने को !-
हैवानियत का कोई तलबगार ना होगा
जालिमों का कोई तरफदार ना होगा
अगर फैसला करने का हक पीड़िता
के मां-बाप को दे दिया जाए
तौ फिर हिंदुस्तान में कोई बलात्कार न होगा
Justice For Priyanka Reddy-
दुनिया तेरे मेरे रिश्ते से क्यों अंजानी है..
सहमा है दिल आँखों में पानी है।
बड़ी गंदी है नियत बेटी इस ज़माने की,
क्यों तुझे जल्दी है इस जहाँ में आने की।
यहाँ पे बेटियों की कोई भी कदर ना है,
जीते-जी भी यहाँ हर बेटी को मरना है।
इससे बेहतर है के तू दुनिया में ही अब मत आ
मेरी ही कोख में ऐ बिटिया मेरी तू मर जा।।
औरत के जिस्म पे यहाँ सबकी निगरानी है..
सहमा है दिल आँखों में पानी है।।
✍️राधा_राठौर♂-
तरीके बदलकर हीं सही
लेकिन आज इंसाफ हुआ,
पुलिस के हाथों उन बलात्कारियों का
बंदूक की गोली से बलात्कार हुआ।-
Jab kabhi bharosa hone lge kisi pe
to samjhana apne dil-ko,
Yha sheeshe se phle wade tutate h, Jajbaton ka yha koi mol nh h,
hawas ke bhuke darinde jha madad ko aate h, whi mauka pate hi jism lutate h fir jaan lete h...
Jab kabhi bharosa hone lge kisi pe to samjhana apne dil ko, bachana tum khudko🌑-
कबतक जिस्म को नोचेंगें ये हराम के पिल्ले,
ठोक दो इनकी हवस से लिपटी जिस्म पर हज़ारो कीलें।
मर जायें तो भी इनकी लाशों को माफ ना करो,
जिस्म के हर बोटी नोचकर उस मासूम का दर्द
इन चारों हरामियों को एहसास दिलाओ।-
पगड़ी के रेशो से
खिडक़ी के जाले भुनता हु
एक बेटी का पिता हु
हर दिन जंग लड़ता हु
(Read in caption )-