अदिति हूँ मैं, अधिकार हैं मेरा यूँ उजालों पर हर किसी का बस नहीं चलता मुझ-सा अचानक हर किसी को यूँही नहीं मिलता प्रभात से मेरी किरणें है बिखरती दिल से ही मैं बनती या बिगड़ती कभी न होती किसी से मैं नाराज़ यहीं है मेरे नाम-सा, मेरा अंदाज़।
तुम्हारा प्यार मुझे बहुत सताता है खुशियों के माहौल में भी रोना आता है जब जब करती हूँ तुम्हें भुलाने की कोशिश तुझसे जुड़ा एक नया लम्हा फिर मुझ पर बादल बनकर घिर आता हैं।