मैं जो लिखता रहूं तुम पढ़ने जाना,
मैं जो कहता रहूं, तुम सुनते जाना,
ना थकेगी, न रुकेगी यह कलम मेरी,
जिंदगी की स्याही गर हो भी जाए खत्म ,
लहू में मेरे लफ्ज़ घोल के तुम पिरोते जाना,
बेवक्त की बातें ये वक्त ही जाने,
इस हसीन पल को दिल में समेटे जाना,
ये अल्फाज तो एक दिन मिट ही जाने हैं,
दिल पर पड़े इन निशानों को तुम भरते जाना,
मैं जो लिखता रहूं तुम पढ़ने जाना।
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