QUOTES ON #PIYUSH

#piyush quotes

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7 MAY 2021 AT 14:00

कैसे बनाऊं पहली रोटी?
हो जाती हैं यह तो मोटी!
कुछ तो काली कुछ तो पीली,
हो जाती हैं आटे गीली!
देता हूँ कर बेलन को रोल,
फिर भी नहीं होती हैं गोल!
ठीक नहीं होती हैं यह रोटी,
उल्टी हो जाती हैं मोटी!
कोई अधपके तो कोई हैं कच्चे,
लेकिन हूँ मैं अभी तो बच्चे!
कोई तिकोन तो कोई चौकोर,
बनते - बनते हो गया भोर!
कैसे बनाऊं पहली रोटी?
हो जाती हैं यह तो मोटी!
हो जाती हैं यह तो मोटी!
हो जाती हैं यह तो मोटी!

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28 MAR 2021 AT 14:30

अम्बर की बुलंदी पे मानव, जब ध्वजारोहन कर आता हैं...!
पर्वत पलकों को झुकाकर, स्वागतगान गाता हैं...!!

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19 OCT 2020 AT 17:39

(कुशल प्रतिभा)

पर्वत भी असफल हैं, ज्वालामुखी को दबाने में..!
देखे हैं प्रतिभाशोषी तुझ जैसे,बहुतेरे इस ज़माने में..!
थर्राएगा कभी अस्तित्व तेरा और निखरेगा हुनर मेरा.. !
क्योंकि दब नहीं सकता कनक कभी तहखाने में..!!

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19 JAN 2019 AT 22:34

बिछड़ने से ज़रा पहले, ज्यादा करीब हो जाते हैं
हम जिन्हें बहुत चाहते हैं, अक्सर वो खो जाते हैं

दिल, मानता ही कहाँ है, पराया उनको
ग़ैर कहकर, हमें छोड़, जो जाते हैं

याद पूरी निकलती ही नहीं, अब उनकी
वो ज़रा से जो याद आएं, आँखें भिगो जाते हैं

होता है यही किस्सा, अब हर रात
हम इंतज़ार करते करते, सो जाते हैं

हवाएं मचाती हैं, बवंडर दिनभर
रात को चुपके से बादल, ओस से धो जाते हैं

है कैसी किस्मत अपनी मौला
करीब जाएं जिनके, दूर वो जाते हैं

ये मुफलिसी नहीं अब, बर्दाश्त के काबिल
छोड़ो यार, हम तो जाते हैं

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10 JAN 2021 AT 10:22

इतिहास साक्षी हैं की....

जब नारी की पावन चरणों पर,पड़ी जुल्म की परछाई हैं..!
दानवता का फन कुचलने, अतीत ने ली अंगड़ाई हैं..!!

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18 MAR 2021 AT 17:00

कुप्रथा को प्रथा मानकर , ना धार्मिक द्वेषों की बली चढ़ो..!
कलमों में उमड़ता लहू डालकर,तूँ खुद अपना संविधान गढ़ो..!!

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7 OCT 2020 AT 17:09

निंदा करत मृगा सबै, देखत मानुष के काज...!
सबs असामाजिक तत्वा सs, घृणित होत समाज...!!

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24 DEC 2018 AT 0:07

सवेरे ने, कोहरे का ढेर लिया है
यूँ मानो, समाँ पूरा, घेर लिया है
इतरा रहा है, जाने किस बात पर
जाने क्यों, रवि से मुँह, फेर लिया है
फिर कोई, हिमाकत करें
आओ, धूप का स्वागत करें

वो चाय की चुस्की अधूरी है
और एक बात है, जो ज़रूरी है
खैर छोड़ो, तुम कहाँ समझोगे
तुम्हारी, अपनी मजबूरी है
फिर कोई, हिमाकत करें
आओ, धूप का स्वागत करें

छुपी बैठी है, बादल के पीछे
जैसे, नज़र कोई, काजल के पीछे
एक मचलता सा दिल है वो
धड़क रहा है, किसी आँचल के पीछे
फिर कोई, हिमाकत करें
आओ, धूप का स्वागत करें

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12 OCT 2020 AT 17:26

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6 OCT 2020 AT 16:39

आएंगे सितारे जमीं पर,
तूँ बुलाकर तो देख...!
सराहेंगे तेरे हौसलों को,
बनेंगे तेरे सहपाठी,
तूँ बुलाकर तो देख...!
शाश्वत करेंगे स्वप्न तेरे,
बनाएंगे तुझे अश्वकाठी,
बुलाकर तो देख...!!
तूँ बुलाकर तो देख...!!

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