QUOTES ON #PHILOSOPHY

#philosophy quotes

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45 MINUTES AGO

वक्त टहरा है आज चांद को देखने को
जरा सोचो अमावास में चांद ने भी वक्त को देखा होगा।

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By unveiling your memories

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3 HOURS AGO

इंसान जब जानवरों से ज़्यादा बेकद्रा हो
तो समझो समाज मौत की कगार पर है

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3 HOURS AGO

तुम्हारी दीवारों का तापमान मई में भी
शायद बीस डिग्री ही रहता होगा क्यों,
तभी तो तुमको असली मुद्दों की जगह
माशूक, मोहब्बत और महबूब दिखा।

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3 HOURS AGO

कुछ लोगों के अंदर का ज़मीर इतना मरा
के सच उनको किसी कड़वी नीम सा लगे

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मन भरा भरा हो जाता है
जब तुझको कोई समझ न पाता है
हूँ इंसान की नस्ल मैं भी
क्यूँ मशीनों में आँका जाता है
नहीं बोलती कुछ तो क्या
मुझमें बची सम्वेदना नहीं
किसी गलत व्यवहार पर
क्या हुई मुझे वेदना नहीं
हर आँसू के कतरे में
छलक गया मन का उद्गार
अंतर छलनी हो जाता है
जब होता है दुर्व्यवहार

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3 HOURS AGO

मत पूछ के दर्द की जगह कौन सी है,
समद इतनी पीड़ा है कि ये मौन सी है।

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3 HOURS AGO

Jis shaks ko tumne,
tumhare dil ki gehri kothi mein kahi rakkha tha,

Ek bar hi sahi us shaks ko
wohi pe jaake dhundo,

Shayad tumhen yeh ilm ho jaaye use tumne kabhi khoya hi nahin.

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3 HOURS AGO

राह तकें कब तब ,
रुके रहें कब तक
जब जगे जब सोएं,
याद क्यों करें हरदम,
लगें न हमदर्द जब अपना,
फिर संग रहे कबतक।

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3 HOURS AGO

गरिमा क्या है?
पहले प्रतिष्ठा दांव पर लग जाती थी
ओछे बयान और ओछी हरक़त से
अब तो शीर्षस्थ नेता भी सड़कछाप
बयान और बेसिर पैर दलील दे रहे हैं
कोरी जुबान फिसलने को व्यक्तित्व का
आछेप और मान मर्दन कर रहे हैं...
ख़ुद की हैसियत गरिमा जैसे भारी शब्द
का शब्दार्थ तक समझने की नहीं है...
सत्ता इतनी ज़रूरी कुछ लोगों के लिए
कि झूठ को चीख कर परोस रहें..
दुविधा ये है कि भोली जनता उसको
सच न मान बैठे..
महत्व अब राजनेताओं का शिकार हुआ
वो अपनी सत्ता को बचाने में गुण्डों और
फरेबियों जैसी भाषा का उपयोग कर रहे
और शीर्षस्थ के कहने ही क्या.. शीर्षस्थ
फरेब की बात कर रहे....
आह!

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