जो कहते नहीं लोग बस वो बात लिखता हूँ,
ना मानता कोई धर्म, ना कोई जात लिखता हूँ।
कभी दिन की सुबह, कभी अँधेरी रात लिखता हूँ,
मज़हब पे सियासत दारो की औकात लिखता हूँ।
क्यों आपस में लड़ते हो तुम? क्यों गै़रो की सुनते हो?
क्या देश नहीं तुम्हारा ये? तो क्यों अपनों से डरते हो?
इस जाति-धर्म की वजह से ही हम ग़जिनी-गौरी से हारे थे,
जो आज़ादी में शहीद हुए, क्या वो नहीं अपने हमारे थे?
हमने अपने इस देश में हैवानो को भगवान् बनते देखा है,
कोई जाकर बोलो उन्हें भी, राजनीति की एक सीमा रेखा है।
कुछ तथाकथित इस देश का इतिहास मिटाने वाले है,
और जाति-धर्म के नाम पर, ये आग़ लगाने वाले है।
पर तुम एक जाति पे ध्यान देना और वो बस मानव जाति हो,
ना कोई हिन्दू ना कोई मुस्लिम और ना ही कोई सिख-ईसाई हो।
मत सुनना उनकी बात कभी, इस भारत देश के लाल हो तुम,
भगत सिंह जैसा वीर हो तुम, और चन्द्रशेखर आज़ाद हो तुम।
-