कभी-कभी अंतर्मुखी
मन के पुष्प
खिल कर इतने खुबसूरत
लगते हैं,,,,,,,,,,,,,,,
मन में उस धूप को,जल को
वायु को, और मिट्टी को
अपने सानिध्य पाकर,,,,,,,,,,,,,,
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तो
कभी कभी मुरझा जाते हैं
शायद वो भी खुद को आंकने
लगते हैं, कुछ कुंठित विचारों से
और वायु,जल, मिट्टी और धूप
को महसूस नहीं कर पाते तत्पश्चात
उन्हें आभास करना जरूरी हो जाता
जिससे इनकी शोभा हैं ....!!!!
(-Taste_of_thoughts)✍️
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