वो सात समंदर पार का नज़ारा था,
आम दिनों सा उस दिन भी रवि ने पुकारा था,
जब प्रातः आठ बजे एक शांति सी छाई थी,
जो आने वाले तूफान की करती अगवाई थी।
अचानक ही दो विमानों का इमारतों से टकराना,
क्षणभर मे गगनचुंबी अट्टालिकाओं का अस्तित्व,
मिटाकर खुद पर इतना इतराना,
जैसे पूनम की रात का,अमावस मे बदल जाना।
ये सब रूप है,अहिंसा का अपवाद
जिसने विश्व का गर्व है छीना,
वो था आतंकवाद,
इसका कोई ना भाई,ना सखा
मासूमो को बंदूक की नोक पर रखा,
भारत से लेकर अमरीका परेशान है
मानव जाति के माथे पर कलंक विद्यमान है,
गलती किसकी पता नही,मगर हर बार मरता इमान है।
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