लाखों दहेज़ देकर, arrange marriage पसंद है जिसमें बेटी की खुशियों की कोई guarantee नहीं होती, लेक़िन खुशियों के साथ-साथ बिन दहेज़ के 'प्रेम विवाह' बहुत अकड़ता है इस समाज को
क्या फर्क पड़ता है भाषा हिंदी हो या इंग्लिश... उर्दू हो या संस्कृत, पंजाबी हो या गुजराती.... कविता यदि जज्बातों से लिखी हुई हो तो; सबके दिल को लुभा जाती.....