Debashis Sarmah 27 MAR 2018 AT 23:01 Once and twice, it soon repeated connecting the dots. My heart had edgy corners, you moulded to circle. I now count love without edges, where it will lead us. - Debashis Sarmah 21 NOV 2016 AT 15:00 While the Sun shared its glowSomewhere the stars stole the show - sourav malik 28 MAY 2020 AT 15:59 ज़ख़्म भी लहू-लहू होंगे देखना फिर अभी इश्क़ तुमने छुआ-छुआ सा है - Wani Toheed 16 JUN 2020 AT 20:42 मकता مقطع۔۔۔۔۔۔۔۔۔तेरे गम का सितम है ये मै सब कुछ भूल बैठा हूंमैं वानी हूं मुझे आ कर बता जाते तो अच्छा थाتیرے غم کا ستم ہے یہ میں سب کچھ بھول بیٹھا ہوںمیں وانی ہوں مجھے آکر بتا جاتے تو اچھا تھا 1222 1222 1222 1222 - Arpit Rai 🇮🇳 13 MAY 2021 AT 18:41 अभी हारा नहीं हूँ ज़िंदगी ।सफ़र में धूप थोड़ी तेज़ है ।।Abhi haara nahin hun zindagisafar mein dhoop thodi tez hai - Riya Yadav 27 MAY 2020 AT 16:05 इबादत को कहीं जाना नहीं हैदिलों में घर बनाना ही सही है।अगर मुमकिन है रोते को हंसाओसवाबों की जज़ा मिलती यहीं हैहक़ीक़त तुम दिलों की जानते होइसे बदलें इरादा भी नहीं है।।दिलों से दिल जहाँ मिलते हमेशातबीयत को सुकूँ भी तो वहीं है।मुझे कुछ पल सुला माँ गोद में हीअगर होती ज़मीं ज़ीनत यही है। - Riya Yadav 27 MAY 2020 AT 15:30 इश्क़ तेरा नया-नया सा हैअश्क़ में क्यों घिरा-घिरा सा है। - Manhas Sunil 16 JUL 2020 AT 12:09 मैं था कहता रहा पर सुनी ना गईझूटी कोई कहानी बुनी ना गई।भीग कर काँपता था बदन ये मेराधूप थी सामने पर चुनी ना गई।काम इक ये अधूरा मेरा रह गयारंज से रूह पूरी भरी ना गई।धूप थी तेज़ इतनी कि सब जल गयाभीगती आँख से पर नमी ना गई।रात भर दास्ताँ जो सुनाता रहाकागज़ों पर कहानी लिखी ना गई।जाने क्या सोचकर लब ये हँसते रहेदर्द से थे भरे पर हँसी ना गई।क्या लिखा था उन आँखों में राही बताक्या ज़बाँ थी जो तुझसे पढ़ी ना गई। - Wani Toheed 16 JUN 2020 AT 18:09 مطلع۔۔۔۔۔۔मतला कभी जो मुझ को भी अपना बना लेते तो अच्छा थासमझते जैसे हम हैं तुम समझ जाते तो अच्छा थाکبھی جو مجھ کو بھی اپنا بنا لیتے تو اچھا تھاسمجھتے جیسے ہم ہے تم سمجھ جاتے تو اچھا تھا 1222 1222 1222 1222 - Manhas Sunil 7 AUG 2020 AT 12:40 बुझी इन आँखों में ख़्वाब क्यूँ हैनहीं है क़िस्सा तो बाब क्यूँ है।नहीं ख़बर उस के आने की जबमहक रहा ये गुलाब क्यूँ है।जिसे भी देखो वो पी रहा हैअगर बुरी है शराब क्यूँ है।छुपा था जो कुछ है अब वो ज़ाहिरतो रुख़ पे तेरे नक़ाब क्यूँ है।है सामने तेरे जब हक़ीक़त निगाह में फिर सराब क्यूँ है। -