मैं प्रेम के पुस्तकालय में जिन शब्दों को ढूँढ़ता फिरता हूँ, वो मेरे दिल के पागलखाने में यूँ ही भटकते हुए मिल जाते हैं। वहाँ तो मेरे मनपसंद शब्दों का हरदम ही रहता टोटा है। और यहाँ पैर रखते ही, सभी उछलकर जेहन से चिपक जाते हैं।।
Teri yaadon me madhosh ho gaye hum... Tum Meri Adat ban chuke ho.... Kaun kehta hai ham tumhe yaad nahi karte.... Har lamha Tumse baat krne ke wajah dhundte h hum ...