सपना,इश्क और खुदा,
यूहीं सबको नहीं मिलता,
तपना पड़ता है संघर्ष की भट्टी पर,
झुलसना पड़ता है एक आंच पर,
जब दिन रात का अंतर मिट जाता है,
जब रातें बेचैन हो जाती हैं,
नींद से भरी जगी आँखों के साथ,
तब जा कर वो ज्ञान मिलता है,
वो सफ़लता मिलती है,और सपना पूरा होता है||
सच कहु तो संघर्ष करना,
इश्क करने और इबादत करने जैसा ही होता है,
जैसे किसी के प्रेम में प्रेमी हर हद को लांघ जाता है,
जैसे किसी ईश्वर की भक्ति में डूबा भक्त उसी ईश्वर में खो जाता है,
वैसे ही सपने देखने की चाह में मन भी डब जाता है।
मैंने तो तीनों किया, वो भी पूरी शिद्दत से,
पर अफ़सोस प्रेम और सपने को पा ना सका।
पर जो मन है ना वो हारा नहीं है,
लगा है सपनों के पीछे संघर्ष में,
और प्रेम उसको क्या ही कहु,
खुद में समाए वो हर रोज बढ़ता ही है तुम्हारे लिए॥
अपनी कहानी तुमसे एक रोज़ ज़रूर कहूँगा,
और तब मेरा भी एक मुकाम होगा,मेरी भी एक पहचान होगी।
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