अशुद्ध मन, वाणी,नीति और कर्म
शक, द्वेष, इर्ष्या,निंदा और लोभ
बढ़ गये हैं
क्रान्ति कहाँ से हो
सदी बदली मन बदल गए
आधुनिकता ने खण्डन किया
समाज का विखंडन किया
भ्रष्टाचार अपना प्रचार
अहंकार और अहं का सार
शिक्षा का क्षय और ज्ञान से भय
अन्धविश्वास में दृढ़ विश्वास
परिजनों से दूरी, यंत्र तन्त्र से पूरी
शिक्षित समाज की अशिक्षित बिमारी
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