आपके रिश्ते की बातें चल रही हैं, ये ख़बर मुझे आपसे नहीं मिली,
आपके घर आपको देखने के लिये वो लोग आ रहे है, ये ख़बर आपसे नहीं मिली,
आप अपने घर जा रहे हैं अपने मां बाप के बुलाने पर, ये ख़बर भी आपसे नहीं मिली,
आपको वो लोग देखकर जा चुके हैं, ये ख़बर भी आपसे नहीं मिली,
आपसे उन लोगी की क्या बात हुई, क्या हुआ, ये ख़बर आपसे नहीं मिली,
आपकी मां और बहन उस लड़की को देखने जा रहे हैं, ये ख़बर भी आपसे नहीं मिली,
वो लोग वहां से आ गये, क्या हुआ ये ख़बर भी आपसे नहीं मिली,
लड़की के बारे में कोई भी जानकारी या ख़बर भी आपसे नहीं मिली,
आपका रिश्ता पक्का हो गया, ये ख़बर आपसे नहीं मिली,
आपकी सगाई हो रही है, ये ख़बर भी आपसे नहीं मिली।
क्या इसमें से किसी भी एक ख़बर की कोई ख़बर नहीं थी आपको?
मेरा फ़िर वही सवाल, कहां व्यस्त थे आप?
क्या महत्व है मेरा आपकी ज़िंदगी में?
कौन हूं मैं, क्या लगती हूं आपकी?
इतनी अहम बातें बताने तक का वक्त नहीं था आपके पास?
लोगों की मदद तो रोज़ कर रहे थे, मेरी याद नहीं आई?
एक बार भी आपको एहसास नहीं हुआ कि कैसे जी रही होगी?
ये ख़बरें अगर आपसे पता लगती तो कुछ अलग बात होती,
शायद आप अपने तरीके से बताते तो तकलीफ कम होती,
एकबार भी नहीं लगा कि मुझसे अपनी भावनाएं साझा की जाए?
मैं होश में नहीं थी, अधमरी हो रही थी धीरे - धीरे,
आपको मेरा कोई ख़्याल नहीं आया?
मेरी ज़रा भी याद नहीं आई?
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