QUOTES ON #KITAAB

#kitaab quotes

Trending | Latest
27 AUG 2020 AT 7:39

खुली किताब सी मैं..
पढ़ने दिया था तुमको..
जाने क्या सोच कर..
लिखना शुरु कर दिए.
खुली किताब सी मैं..
जज़्बात मेरे अपने..
जाने क्या सोच कर..
अपने अल्फ़ाज़ पिरोने लगे..
खुली किताब सी मैं..
अपने रंग के कवर में लिपटी..
जाने क्या सोच कर..
कवर बदलने शुरू कर दिए..
खुली किताब सी मैं..
आज़ादी में डोलने वाली..
जाने क्या सोच कर..
आलमारी में सज़ा दिए..
हाँ थी अधूरी किताब..
नहीं करनी है ऐसे पूरी..
जैसी हूँ वैसी पढ़ो सरकार..

-


4 DEC 2020 AT 10:19

इक दौर का हिस्सा कमाल रखा है.
इश्क का नाम हमने बवाल रखा है.
खुद के लिए ही जाल बिछा रखा है.

किस्सा तेरा कोई सभांल रखा है.
कौन बताये तुम्हें हमने आज भी
अलमारी में सिर्फ एक रुमाल रखा है.

-


11 MAR 2019 AT 13:27

Title

-


19 OCT 2020 AT 16:06

कोई अगर पूछे तो हम क्या बताएं
तेरे हाल से मेरा हाल क्या है.

मोहबत की है तो हमने जाना
बजूद तेरा अब सवाल क्या है.

तुमने भी ढूँढा था हमें हो काफिर
जो मिला ही नहीं फिर वो बवाल क्या है.

गर पूछे तुमसे तो तुम ये हो कहना
मोहब्बत के ना काबिल वो सबाल क्या है.

हमने छुपाये जख्म तेरे दिल के अब
तू बता दुआ मे मेरा नाम क्या है.

हमने खोये है अपने दिन के उजाले
अब क्या बताएं की मेरी शाम क्या है

-


8 SEP 2020 AT 13:27

....

-


21 JUN 2021 AT 21:06

इतना भी काबिल नहीं हुआ हूॅं , की लिख सकूं कोई किताब ।
अभी तजुर्बे-ए-जिंदगी सिखा रही हैं , कामयाब होने का मुकाम ।।

-


27 DEC 2018 AT 0:47

ज़िन्दगी की किताब में,
यादों की कलम छूट गयी थी
आज मिल गयी मगर,
वो पन्ना भी खुल गया जहाँ,
मेने तुम्हें लिखा था।
उस कलम से अधूरे,
'हम' को फिर लिखना चाहा,
पर मुझे 'तुम' मिले ही नहीं,
और आज जब 'तुम' मिले तो,
मेरी कलम टूट गयी।

-


21 DEC 2020 AT 9:28

उन्होंने लिखा और तुझे सरेआम कर दिया,
सबने पढ़ा और तुझे बदनाम कर दिया ।
बाजार में बिकने लगी किताब तेरे नाम की,
हमने खरीदा और उसे अपना नाम दे दिया ।

-rajdhar dubey

-


10 JAN 2019 AT 8:41

ज़िन्दगी की किताब और कलम दोनों आपके
हाथ मे ही है,, अब आप पर निर्भर करता है
की आप अच्छा लिखना चाहते हो या बुरा
लेकिन एक बात हमेशा याद रखना
लिखा हुआ कभी नहीं मिटेगा
सिर्फ पन्ना बदलेगा या तो फ़टेगा,,


-


24 DEC 2021 AT 12:15

मैं एक किताब हूँ,
ज़रा दिल लगाकर पढ़िए मेरी अनकही बातों को,
मुझमें लिखें हुए जज़्बातों को।

-