**सपना**
बहता पवन था
कलियों का उपवन था
रात चांदनी थी
चाँद स्वछन्द था
हाय ये इश्क़
पवन का वेग बढ़ा तो कलियां चटक गई
भौरों की निगाहें फूलों पर अटक गई
रात ने सरगम छेड़ी चाँद भी मदहोश था
खूबसूरत सा समा आलिंगन सा जोश था
रात बस ढल गई तंद्रा निकल गई
सपने सवंर गए रूह तक उतर गए ....
रग रग मदहोश था
खूबसूरत सा समा मिलन का आग़ोश था।
-