एक स्त्री और पुरुष अगर मित्र है तो
जरूरी नही उनके बीच कोई गलत "रिश्ता" हो,
हो सकता है दोस्त के रूप में वो" फरिश्ता" हो
मैं इंकार नही करती की मेरे "पुरुष मित्र "नही हैं
लड़की होके मैं लड़कियों से कतई रुष्ट नही हूँ
पर ये जरूर कहूंगी "पुरुष "मित्र सच मे भरोसे के लायक होते हैं
तभी तो हम उनकी वफ़ादारी के कायल होते हैं,😊
जिंदगी के हर हालात में बखूबी साथ निभाते हैं
कोई भी "जरूरत "हो सबसे पहले आगे आते हैं
हमसे जुड़के हमारे घरवालो को भी अपना बना जाते हैं
ये दोस्त ही है जो आगे बढ़ने का सपना दिखा जाते हैं
खुशी और गम में साथ निभा जाते हैं
दिल से दोस्ती का रिश्ता बता जाते है
दिल का, दोस्ती का,अश्को का,अपनेपन का हर
अहसास अब मैं इनपे ही निसार करती हूँ😍😍😍😍
इसलिए मैं इनका दिल से सम्मान करती हूँ
दोस्ती का पहला "मेडल"इनके नाम करती हूँ😍
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