देख के सपने में उनको, चेहरे पर मुस्कान है छाई,
मैं गोद में रख लेता हूँ सर, देख के माँ की परछाई।
इस जीवन में सबसे आला, बस माँ का ही प्यार है,
वो ही मंदिर, वो ही पूजा और वही सारा संसार है।
डांटती है, मारती है, फ़िर प्यार से पुचकारती है,
जब देने जाओ कड़े इम्तिहान, तो बलाएं उतारती है।
बिन माँ के जीवन कैसे बीते, ये सोच के जी घबरा जाता है,
जिनकी माँ नहीं होती है, उनका जीवन कैसे गुज़र जाता है।
हर जन्म में मिले यही माँ, बस मेरी यही मन्नत होगी,
जो धोके पी जाये माँ के चरण, उसको नसीब जन्नत होगी।
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