संघर्ष मेरा..
इन आंसूओ को मैं लौ बनाऊँगी जो मुझे
ललकारेगा मैं उसे भय से जलाऊंगी, कश्तियाँ
डूब गयी तो क्या कोशिश कर मैं फिर से इन्हें
पार कराऊंगी जो तकदीर में नहीं लिखा मैं
उसे मुट्ठी में लाऊंगी
जीवन को अपने सवारऊँगी पहचान बना खुद
की मैं क्या हूँ ये बताऊँगी उड़ान मेरी तब तक
नहीं रुकेगी जब तक साँसे नहीं, संघर्ष भी जारी
रहेगा
साहस भी अदम्य भरा है अब बस पंखो को
खोलने की तैयारी हैं अब उड़ान भरने की
बारी मेरी है विराम न लेने का बस हौसला मुझमे
हैं
गगनभेदी हो मैं आसमां की सीमाऐ पार लूँगी
तब सोच सिर्फ सोच आसमां तक नहीं आजाद
होंगी...
-