मसला ये है कि, देख कर उनकी नैनों को, काजल से बातें करता था,
उल्फ़त के बौछारों के मद्दे नज़र, मैं अक्सर, बादल से बातें करता था,
दूसरों के ख़ातिर, उनके रुख़सत होने के, मुझे वो दिन भी याद हैं कि,
किसी रकिब को, दाने डालते उसे देख, मैं, आईनों से बातें करता था...
-