जिंदगी से ज्यादा कुछ नहीं बस इतना चाहूं,
तुम मुझे चाहों उतना ही, मैं तुम्हें जितना चाहूं।
थी चाहत की समझ जितनी उतना तुम्हें चाहा,
तुम ही बता दो कि मैं तुम्हें और कितना चाहूं।
मोहब्बत क्या है, मुझे कुछ हद तक पता है,
तुम्हारी मोहब्बत से मैं ओर भी सीखना चाहूं।
अपनी मोहब्बत बयां कर सकूं अल्फाजों में,
इसलिए एक ग़ज़ल तुम्हारे नाम लिखना चाहूं।
21साल गुजारे हमने साथ में बनकर हमसफर,
आखिरी सांस तक इस सफर को खींचना चाहूं।
रानी बनाकर रखना मुझे दिल में हमेशा यूं ही,
अपनी सालगिरह के तोहफे में बस इतना चाहूं।
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