गौ रक्षा सर्वोपरि Part-III
अपने पुत्रों के सामने, दर-दर आज भटकती है,
भूख प्यास से,है बिलखती, खाने को आज तरसती है।
अधर्म पहुंचा अति चरम पर, पापी प्रवृत्तियां दिखाई जाती हैं,
गायों को लाते एक जगह पर, और झुंडो में कटाई जाती हैं।
मानव आज तूं गायों की हत्या करेगा,
तो कैसे तेरी संतानों को सुख रहेगा।
आज हमको यह प्रण लेना है, गौ की रक्षा करना है,
रोकना है कटने से इनको, और गौ की सेवा करना है।
गौवंश की रक्षा नहीं करी तो, मानवता विध्वंस हो जायेगी,
त्राहि-त्राहि करेंगी गायें, तड़पेगी और मर जायेंगी।
आओ मिलकर सब करें, अब गायों को रक्षित,
गौ के जीवन को करें सब, सुखमय और सुरक्षित।
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