QUOTES ON #GARIBO_KA_GALIB

#garibo_ka_galib quotes

Trending | Latest
20 APR 2018 AT 12:07

hathon me haath nhi , toh koi baat nhi
umar bhar ka saath nhi , toh koi baat nhi
jo hamara aapko dil me rakhna
ye bhi nagavara ho aapko
ye toh koi baat nhi

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28 APR 2018 AT 9:16

मंजर-ए-मुफलिसी में उजड़ते रहे घरौंदे ....
सिलवटों को ओढ़ कर,ख्वाबों का अलाव जला लिये...

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12 FEB 2019 AT 19:44

वक्त और जिम्मेदारी ने कुछ इस कदर झकझोर कर रखा है,
मजदूर है या मजबूर समझ नहीं आता..

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15 OCT 2018 AT 23:28

गंदगी तो, पैसे वालो ने फैलाई है! वरना गरीब तो,

सड़को से थैलियाॅं तक उठा लेते है,,साहब

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23 MAY 2018 AT 10:13

ए दोस्त मत कर मोलभाव गरीब से वो अपनी जीविका कमाने निकला है ना कि महल बनाने!

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27 DEC 2018 AT 17:15

‌रुतबा बहुत ऊँचा होगा गाड़ी वाले साहब का
‌शायद तभी फुटपाथ पे दुआ देते गरीब बच्चे न देख पाए।

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28 NOV 2017 AT 10:23

जनसंख्या बनाम कुपोषण, गरीबी, बेरोजगारी

वर्तमान समय में देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होती है, पर इस सब के बीच बुनियादी मुद्दों पर बातचीत जरूरी है। बेरोजगारी, गरीबी, कुपोषण जैसे मुद्दों के अंत में निष्कर्ष निकलता है कि जनसंख्या पर नियंत्रण जरूरी है, जो इन सबकी जड़ है। हम पूरे विश्व में गर्व से कहते हैं कि भारत युवाओं का देश है। लेकिन मौजूदा समय में बड़ी चुनौती यह है कि युवाओं की शक्ति का सही इस्तेमाल कैसे हो, इसके लिए युवाओं में कौशल का विकास किया जाना जरूरी है।
यह ध्यान रखने की जरूरत है कि चीन ने अपनी बड़ी आबादी को ही अपनी ताकत बनाया है। इसी की बदौलत चीन आज विश्व का एक बड़ा ‘उत्पादन-हब’ है। लोग चीन के पक्ष में कहते हैं कि किसी खाने वाले का मुंह एक है, लेकिन हाथ दो हैं। यानी वह खाने से दुगनी कमाई कर सकता है। भारत में इस तरह की सोच को आगे बढ़ाने के लिए, युवाओं को उत्पादकता से जोड़ना जरूरी है। एक अनुमान के मुताबिक 2026 तक भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा। इतनी बड़ी आबादी के लिए ज्यादा उत्पादकता भी जरूरी है, ताकि उसका भरण-पोषण हो सके।
हमारे पास रोजगार और व्यवसाय पर निवेश सीमित है। उसका विभाजन बड़ी आबादी में होगा तो समस्या बढ़ेगी और इसका असर नौकरी के अवसरों पर भी पड़ेगा। रोजगार के अवसर भी कम होंगे। यह हमारी और सरकार की जिम्मेदारी बनती है।
Sushil Kumar Verma
Maharajganj,gkp

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3 OCT 2018 AT 17:10

चींटियाँ भी समेटती हैं चीनी
ख़ुदकेलिए कम औरो के
लिए ज़्यादा
हम तो इंसान है इमान्दारी से
दो वक़्त तो खाहि सकते हैं
सिर्फ़ नमक और रोटियाँ

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24 OCT 2017 AT 23:04

This time, no more tea will be enjoyed in evening...
This time, no more roaming in the streets...
Coz this time you are no more with me...
Coz this winter, no more its going to be like this...

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29 SEP 2018 AT 12:14

मैं इतना तो कर सकता हूं
जो खोजता है अपने दो वक्त की रोटी
हमारे झूठन में
उसे अपने एक वक्त का आधा हिस्सा दे सकता हूं

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