ख़्वाब,
देखा है मैंने तुमको, आँखे खुलते ही खो जाते हो,
याद रहते हो धुंधले-धुंधले, कभी याद भी रह जाते हो,
कभी डराते हो, कभी उम्मीद जगाते हो,
हँसता हूँ में सोच-सोच कर , लोग कहते है तुम सच भी होते हो,
वैसे गुरु तुम चीज़ क्या हो, कभी ख़ुशी हो,
कभी याद हो, कभी ख़ौफ़ की काली रात हो,
हाँ देखा है मैंने तुमको, तुम रातों को आते हो, सुबह चले जाते हो ।।
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