ना पोंछ आँसू मेरे,दिल तेरा भी रो जाएगा,
जाग सकेगा ना, रात भर खुद सो पाएगा।
मौसम उजाड़ हो चला,मनहूस जिंदगी का,
मौसम-ए-बहारा भी क्या शब खिलाएगा।
मनसबदार हो गया खुदा भी न सुनता मेरी,
क्या दूँ इसको रिश्वत,क्या कोई बताएगा।
ये वक्त की है आँधी चिनारों के जंगल में,
दरख़्त नहीं 'सीमा'इसे कि कोई बचाएगा।
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