सत्ता की लालच में मैनें उसकी आत्मा को मरते देखा है,
एक बच्ची की करुण पुकार को अनसुना करते देखा है।
वो भाग गई घर से अपने सपनों को पूरा करने खातिर,
मैनें एक बाप को बेटी की सुरक्षा के लिए डरते देखा है।
माना उसकी हैसियत दुनिया की नजरों में कुछ भी नहीं,
उसकी इक झलक पा कर के दीवानों को तरते देखा है।
उस गरीब की गली में भूख से बच्चे छोटे-छोटे मर गये,
इक साहूकार के गोदाम में पड़े अनाज़ को सड़ते देखा है।
वो रोती रही रात भर हाथों में लाश 'इकराश़' की ले कर,
हाँ बेटों को पिता की लाश पे पैसों के लिए लड़ते देखा है।
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