*उसने कहा था जब भी मिलना*
अपनी झुकी पलकों को धीरे से उठाना,
लबों पर ज्यादा नहीं बस हल्की सी मुस्कान रखना,
हाथ अपने लहराते बालों पर फेर लेना,
उसने कहा था जब भी मिलना,,,,,,,,,,,,
अपनी चूड़ियों की खनकार सुना देना,
अपने पायल से शोर मचा देना,
निगाहों से तीर चला देना,
बिन चिंगारी के आग लगा देना,
उसने कहा था जब भी मिलना,,,,,,,,,,,,
पतझड़ में फूल खिला देना,
शांत पड़े दिल में ज़रा सी हलचल मचा देना,
वैसे तो शांत पड़े रहेंगे हम तेरे बिन,
मौका मिले तो थोड़ी सी जान डाल जाना,
उसने कहा था जब भी मिलना,,,,,,,,,
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