मौसम ने ख़ुशमिज़ाजी में करवट ली आज कुछ ऐसे बारिश की बूँदें धड़कनों को छू सी गई हो जैसे लगे कि ज़िन्दगी ने बरसों बाद आज पहली मुलाक़ात में ही गले से लगाया है..
बैठ संग ज़िन्दगी लबों पे मुस्कान है ऐसे शिकायत तो कभी थी ही न जैसे हल्की सर्द हवा में बातें घंटों तक चली थी हुई मुलाक़ात कुछ यूँ कि मुझसे ख़ास दिल्लगी थी
मिजाज़ ये हवाओं का ज़्यादा कहाँ ठहरता है वक़्त युही बेवक़्त अक्सर बेवफ़ाई करता है कुछ पल का मौसम ठग गया कुछ ऐसे होश में ही बेहोशी का छलावा हो जैसे
आँखें खुली तो पाया कुछ खफ़ा सी ही है ज़िन्दगी आज भी, वैसे ही बरसों से थी जैसे।
I don't know whether It's a kind of relief, to me Or A depressing thought.. that I'd never have any Worst Phase In my Life. Ever. Because. It's almost impossible For A Phase, to Come that has never LEFT.. Since I took my first breath Till now.