वो जो गुस्से में कुछ कह गया,
वो सोचकर दिल आज फिर से रोया ।।
जुबां कुछ बयां नहीं कर पाई,
पर आंखे फिर एक दफा भर अाई ।।
लफ़्ज़ों का इस्तेमाल ज़रा ध्यान से करना,
कोई टूट सी जाती हैं ख्याल रखना ।।
सिर्फ तेरे सजदे में हर बार झुकी हूं,
तेरी मोहब्बत को आज भी दिल के सबसे करीब रखी हूं।।
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